अक्सर कारोबारी कामयाबियों का एक अंधकारमय पक्ष होता है। यही बात अब ऐप के जरिए कारोबार चलाने वाली कंपनी उबर के बारे में सामने आई है।
जब कोई नई कंपनी सफल होती है, तो उसका काफी महिमामंडन होता है। उसकी आविष्कारक और जोखिम उठाने भावना की तारीफ में बड़ी बातें कही जाती हैँ। लेकिन अक्सर सामने यह आता है कि कारोबारी कामयाबियों के पीछे सिर्फ ऐसी भावनाएं नहीं होतीं। बल्कि हर सफलता का एक अंधकारमय पक्ष होता है। यही बात अब ऐप के जरिए कारोबार चलाने वाली कंपनी उबर के बारे में सामने आई है। ब्रिटिश अखबार द गार्डियन को एक लाख 24 हजार से ज्यादा दस्तावेज हाथ लगे। इन लीक ईमेल रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि यह कंपनी कैसे 44 अरब डॉलर की कंपनी बन गई और आज 72 देशों में कारोबार कर रही है।
रिपोर्ट का दावा कि उबर ने खुलेआम नियमों का उल्लंघन किया और अधिकारियों को लाभ पहुंचा कर उनसे खुद लाभ हासिल किया। ये ईमेल 2013 से 2017 के बीच के हैं, जब ट्रैविस कैलनिक कंपनी के सर्वेसर्वा थे। 2013 में ही उबर ने भारत में अपनी सेवाएं शुरू की थीं और जल्द ही भारत उसके लिए सबसे तेजी से बढ़ता बाजार बन गया। आज भारत में लगभग छह लाख लोग उबर के लए कैब चला रहे हैं।
भारत के बारे में कंपनी की रणनीति अगस्त 2014 में तत्कालीन एशिया प्रमुख एलन पेन की तरफ से भारतीय टीम को भेजे गए एक ईमेल उजागर हुई है। उबर को भारत में लगभग सभी नियामकों के साथ खासा संघर्ष करना पड़ा था। यही कहानी दुनिया भर में रही।
इन संघर्षों का मुकाबला करने के क्रम में उबर ने उचित- अनुचित का ख्याल नहीं किया। वह कई देशों के अति-महत्वपूर्ण लोगों को अपने पाले में लाने में सफल रही। उनमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों और यूरोपीय संघ के पूर्व आयुक्त नीली क्रोएस भी शामिल हैं। फ्रांसीसी टैक्सी ड्राइवरों ने उबर के खिलाफ देश में कई बार प्रदर्शन किए थे. जिनमें अक्सर हिंसा हुई। अब सामने आया है कि उबर ने अपने ड्राइवरों को इस हिंसा में भाग लेने के लिए उकसाया था। मैक्रों जब आर्थिक मामलों के मंत्री थे, तब उन्होंने के पक्ष में कानूनों में बदलाव किया। उबर अधिकारियों की उन तक सीधी पहुंच थी। इन विवरणों से साफ होता है कि उबर अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कंपनी किस हद तक गई।