Thursday, March 28, 2024

आरटीई में हुआ फर्जीबाड़ा, निजी स्कूलों की ज्यादा सीटें दिखाकर बीआरसीसी ने किया बड़ा खेल

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भोपाल। नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत राजधानी में एक ओर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिलों के बीआरसीसी ने निजी स्कूलों की ज्यादा सीटें दिखाकर खेल कर दिया है। ज्यादा संख्या में सीटें होने पर डीईटो व प्रभारी डीपीसी नितिन सक्सेना ने सभी बीआरसीसी से दो दिन में बच्चेां के साथ जवाब मांगा है। आरटीई के तहत निजी स्कूलों की प्रारंभिक कक्षा में पच्चीस फीसदी सीटों पर गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। इन बच्चों की फीस सरकार द्वारा भरी जाती है। वर्ष 2021-22 में आरटीई के तहत राजधानी में 1491 निजी स्कूलों में 17 हजार 411 सीटें आरक्षित थीं। अब वर्ष 2022-23 में आरटीई के तहत प्रवेश के लिए प्रक्रिया शुरु हो रही है।

इसे लेकर जिले के चारों बीआरसीसी ने डीपीसी के पास आरटीई के तहत अरक्षित होने के लिए सीटें भेजी हैं। इसमें निजी स्कूलों की संख्या कम हो गई है। पिछले साल की तुलना में कुल स्कूल 1446 हैं, जबकि आरटीई की सीटें बढक़र 18671 हो गई हैं। कुछ स्कूलों में पिछले साल की तुलना मं पाँच सौ फीसदी तक सीटें बढ़ाई हैं। यह आंकड़े देख डीईओ व प्रभारी डीपीसी नितिन सक्सेना ने मंगलवार को चारों बीआरसीसी को नोटिस जारी कर दो दिन में तथ्यों के साथ जवाब मांगा है। जवाब मिलने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। आरटीई के तहत इस साल राजधानी के एमपी बोर्ड संबंधित कई स्कूलों में प्राथमिक कक्षा में सीटें बढ़ाई हैं, जबकि सीबीएसई स्कूलों ने घटा दी हैं। खास बात यह है कि एमपी बोर्ड के स्कूलों की प्रारंभिक कक्षा में सीटें बहुत ज्यादा हैं, लेकिन बाद की कक्षाओं में सीटें बहुत कर दी गई हैं। जबकि सीबीएसई स्कूलों की प्रारंभिक कक्षा में सीटें बहुत कम हैं, लेकिन बाद की कक्षाओं में सीटें बहुत ज्यादा हैं।

आरटीई की सीटों को लेकर ऐसे होता है खेल – एमपी बोर्ड से संबंधित स्कूल प्रारंभिक कक्षा में आरटीई की सीटें बीआरसीसी से मिलाकर बढ़वा लेते हैं। जिससे आरटीई की सीटों पर बच्चों के ज्यादा प्रवदेश हो और उनकी सरकार से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने के लिए बच्चे की फीस ली जा सके। वहीं, दूसरी तरफ सीबीएसई स्कूलों की फीस ज्यादा होती है। इस कारण कुछ सीबीएसई स्कूल बीआरसीसी की सेटिंग कर प्रारंभिक कक्षा में आरटीई की सीटें कम करवा लेेते हैं। ताकि गरीब व वंचित वर्ग के बच्चों के ज्यादा प्रवेश न हों, लेकिन इन स्कूलों में बाद की कक्षाओं में सीटें बहुत ज्यादा रहती हैं।

डीपीसी कार्यालय से भी नहीं हो पा रही मॉनिटरिंग – जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय से भी जिले में मैदानी स्तर पर मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है। दरअसल कार्यालय में एक शासकीय वाहन है। उक्त वाहन का चालक संविदा कर्मचारी सीताराम है। उक्त वाहन चालक का करीब तीन महीने पहले बैरसिया सामुदायिक स्वाथ्स्य केंद्र में स्थानांतरण कर दिया गया। जिससे डीपीसी कार्यालय में शासकीय वाहन चालक कोई नहीं है। वाहन चालक नहीं होने से मानीटरिंग भी नहीं हो पा रही है। दूसरी तरफ महिला संबंधी आरोपी में फंसे डीपीसी राजेश बाथम करीब तीन माह से दफ्तर नहीं गए हैं।

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