Saturday, July 27, 2024

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने क्योंकि गांधी की हत्या?

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नाथूराम गोडसे, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और गांधीजी के हत्यारे के रूप में जाने जाते हैं। वह 19 मई 1910 को पूना, महाराष्ट्र में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम विनायक दामोदर सवरकर था, जिन्होंने हिंदु राष्ट्र की धारा को आदान-प्रदान किया था।

नाथूराम की शिक्षा कानपूर और पुणे में हुई थी। वे एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से मात्रिका पास किए और फिर विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। उनकी सोच में हिंदू समाज के प्रति गहरा संकल्प था और वे एक प्रखर राष्ट्रवादी थे।

गोडसे ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय संघ (RSS) में भी योगदान दिया। उनकी विचारधारा में महात्मा गांधी के आंदोलनों के प्रति असहमति थी, और वे मानते थे कि उनका अहिंसा का सिद्धांत भारतीय हिंदू समाज को कमजोर बना रहा है।

1948 में, नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, जिसका मुख्य कारण उनकी महात्मा गांधी के विचारधारा से असहमति थी। उनका मानना था कि भारतीय हिंदू समाज को उनके आंदोलनों से कोई लाभ नहीं हो रहा और उनकी आंदोलनें अंग्रेजों को बल दे रही हैं।

नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी की हत्या के लिए फांसी की सजा सुनाई गई और उन्होंने 15 नवम्बर 1949 को फांसी की तलवार से अपने प्राण त्याग दिए। उनकी हत्या ने पूरे देश में बड़ी चर्चा और विवाद को उत्पन्न किया और आज भी उनके विचारों पर विभाग होता है।

समापन रूप में, नाथूराम गोडसे का जीवन एक ऐतिहासिक घटना का हिस्सा रहा है, जो उनकी विचारधारा और समाजशास्त्र में गहरा असर छोड गया। उनकी हत्या ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक के रूप में उनका स्थान बनाया।

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